DBMS का परिचय (MS ACCESS PGDCA/DCA का उपयोग करके डेटाबेस)
DBMS का परिचय
Introduction to DBMS |
डेटा क्या है?
डेटा का अर्थ उन कच्ची तथ्यों, आंकड़ों या सूचनाओं से है जो विभिन्न उद्देश्यों के लिए एकत्र, संग्रहित और प्रोसेस की जाती हैं। डेटा में टेक्स्ट, संख्याएं, मीडिया आदि हो सकते हैं और इसे भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में संग्रहित किया जा सकता है। 'डेटा' शब्द 'डेटम' से बना है जिसका अर्थ एक एकल जानकारी होती है।
डेटा व्यापार, विज्ञान, स्वास्थ्य, वित्त, शिक्षा और सरकारी क्षेत्रों में अनुसंधान, योजना, विश्लेषण और रिपोर्टिंग के लिए आवश्यक है।
कंप्यूटिंग में, डेटा से जानकारी निकाली जाती है जिससे निर्णय लिए जाते हैं और समस्याओं को हल किया जाता है।
डाटाबेस क्या है?
डाटाबेस एक संगठित डेटा संग्रह होता है जो डेटा को कुशलतापूर्वक संग्रहित, पुनः प्राप्त और प्रबंधित करने की सुविधा प्रदान करता है। इसमें डेटा आमतौर पर टेबलों में संगठित रहता है – पंक्तियाँ (Records) और स्तंभ (Fields) के रूप में।
डाटाबेस के प्रकार:
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रिलेशनल डाटाबेस (RDBMS) – जैसे: MySQL, Oracle
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NoSQL डाटाबेस – जैसे: MongoDB, Cassandra
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ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड डाटाबेस – जैसे: db4o, ObjectDB
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ग्राफ डाटाबेस – जैसे: Neo4j, ArangoDB
हार्डवेयर:
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सर्वर – DBMS सॉफ़्टवेयर को होस्ट करता है।
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स्टोरेज डिवाइस – HDD/SSD पर डेटा संग्रह होता है।
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RAM – अस्थायी डेटा प्रोसेसिंग के लिए।
सॉफ़्टवेयर:
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DBMS – डाटाबेस को प्रबंधित करने वाला मुख्य सॉफ़्टवेयर।
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SQL जैसी भाषाएं – डेटा को एक्सेस करने के लिए।
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प्रोसीजर व फंक्शन – विशेष कार्यों के लिए।
लॉजिकल घटक:
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डेटा
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टेबल्स
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इंडेक्सेस
DBMS क्या है?
DBMS (Database Management System) एक सॉफ़्टवेयर होता है जो डाटाबेस को बनाने, उसमें बदलाव करने, और उसका प्रबंधन करने में सहायक होता है।
DBMS के प्रमुख लाभ:
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डेटा परिभाषा
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डेटा जोड़ना, हटाना व अपडेट करना
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डेटा को खोजने की सुविधा (SQL द्वारा)
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एकाधिक उपयोगकर्ताओं के लिए कंकरेंसी कंट्रोल
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डेटा सुरक्षा और एक्सेस कंट्रोल
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बैकअप व रिकवरी सिस्टम
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डेटा की अखंडता बनाए रखना (Integrity)
DBMS की कुछ हानियाँ:
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महंगा होता है (Costly)
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जटिलता (Complexity)
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डेटा लॉस की संभावना
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प्रोसेसिंग ओवरहेड
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वेंडर लॉक-इन
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स्केलेबिलिटी सीमाएँ
रिलेशनल डाटाबेस क्या है?
रिलेशनल डाटाबेस एक ऐसा डाटाबेस होता है जहाँ डेटा को टेबल के रूप में संगठित किया जाता है। इन टेबलों के बीच रिलेशन (संबंध) होते हैं जो प्राइमरी की और फॉरेन की द्वारा स्थापित होते हैं।
विशेषताएँ:
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डेटा इंटीग्रिटी
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फ्लेक्सिबिलिटी और क्वेरी सपोर्ट
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स्केलेबिलिटी
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ACID गुणधर्म
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नॉर्मलाइजेशन द्वारा डेटा की शुद्धता
उदाहरण: MySQL, PostgreSQL, Oracle, SQL Server आदि।
इंटीग्रिटी कंस्ट्रेंट्स (Integrity Constraints)
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Primary Key – प्रत्येक रिकॉर्ड की एक यूनिक पहचान होती है और NULL नहीं हो सकती।
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Unique Key – प्रत्येक मान अद्वितीय होता है।
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Not Null – NULL वैल्यू स्वीकार नहीं करता।
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Foreign Key – दो टेबल्स के बीच संबंध स्थापित करता है।
डाटाबेस डिजाइन प्रक्रिया
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उद्देश्य तय करना
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आवश्यक सूचनाएँ एकत्र करना
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टेबल में विभाजित करना
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कॉलम तय करना
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प्राइमरी की निर्धारित करना
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टेबल्स के बीच संबंध बनाना
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डिज़ाइन की समीक्षा और परीक्षण
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नॉर्मलाइजेशन लागू करना
डेटा नॉर्मलाइजेशन (Normalization)
डेटा नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य डेटा की पुनरावृत्ति को हटाना और संरचना को बेहतर बनाना होता है।
सामान्य नॉर्मल फॉर्म्स:
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1NF (First Normal Form): प्रत्येक कॉलम में एकल मान।
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2NF (Second Normal Form): कोई आंशिक निर्भरता नहीं होती।
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3NF (Third Normal Form): ट्रांजिटिव निर्भरता को हटाया जाता है।
नॉर्मलाइजेशन के लाभ:
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डेटा दोहराव कम होता है
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स्पेस की बचत होती है
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डेटा अनॉमली से बचा जा सकता है
निष्कर्ष
इस ब्लॉग में हमने DBMS से जुड़े मुख्य विषयों को सरल भाषा में समझाया:
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डेटा और डाटाबेस क्या होता है
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DBMS और उसके लाभ
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रिलेशनल डाटाबेस की विशेषताएं
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इंटीग्रिटी कंस्ट्रेंट्स
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डाटाबेस डिजाइन की प्रक्रिया
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नॉर्मलाइजेशन के प्रकार और लाभ
यह लेख विशेष रूप से उन विद्यार्थियों के लिए लाभकारी है जो BCA, PGDCA, DCA, या 'O' Level जैसे कोर्स कर रहे हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
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